Friday, December 05, 2014

सौ०का० स्वाति चि० अक्षय  विवाहावसरे शुभकामना संदेशः



 अक्षय स्वाति विवाह प्रणय अनुबन्धम्।
शुभं भवतु ॠषि कृत प्राचीन प्रबन्धम्।।

प्राचीन भारतीय ॠषियों द्वारा अनुप्रणीत सामाजिक प्रबन्धन के अनुसार
स्वाति और अक्षय  का विवाह शुभ और कल्याण प्रद हो।

भारतीय संस्कृत्यनुसारं शुचि षोडष संस्कारम्।
श्रेष्ठाश्रमं गृहस्थ आश्रमं सदाचरण व्यवहारम्।
सप्तपदी मैत्री कृतवन्तौ सप्त जन्म सम्बन्धम्।।

भारतीय संस्कृति में पवित्र सोलह संस्कार एवं चार आश्रमों की व्यवस्था देकर सदाचरण
और सद्व्यवहार की प्रेरणा दी गई है। जिसमें गृहस्थ आश्रम को सर्व श्रेष्ठ माना गया है।
इस आश्रम में प्रवेश करते समय सात परिक्रमा साथ साथ करके पति पत्नी सात जन्मों के संबन्ध तय करते हैं।

मंगल कलशः मृत्तिका दीपं तोरण द्वार पुनीतम्।
हरित्पत्र मण्डपाच्छदनं मन्त्रं मंगल गीतम्।
शुभं हरिद्रा युक्त चन्दनं व्याप्तं दिव्य सुगन्धम्।।

विवाह समारोह में मंगल कलश मिट्टी के दिये पवित्र तोरण द्वार बनाकर हरे पत्तों से युक्त मण्डप के नीचे
मन्त्रोच्चार और मधुर गीतों से वातावरण उल्लासमय हो गया है।शुभ हल्दी युक्त चन्दन की सुगन्ध सारे वातावरण में व्याप्त है।

स्थितौ नव वर वधू मण्डपे नीत्वा निज जयमालाम्।
राम जानकी वत् शोभेते जनकपुरी मिथिलायाम्।
दृष्ट्वा संमनोहरं दृश्यं प्राप्नुवन्ति आनन्दम्।।

इस पवित्र मण्डप में अपने हाथों में जयमाला लिये खड़े ये नव युगल उसीतरह शोभित हो रहे हैं
जैसे जनकपुरी मिथिला में राम और जानकी शोभायमान हैं। ऐंसे मनोहर दृश्य को देखकर
समस्त एकत्रित बन्धु बान्धव आनन्दित हो रहे हैं।

 पितरौ गीता अनिल कुमार कटारे सह परिवारम्।
इष्टमित्र चातिथिभिर्सहितं प्रमुदति बारं बारम्।
सर्वे कन्यादानं कृत्वा प्राप्नुवन्ति आनन्दम्।।

कन्या के माता पिता श्रीमती गीता अनिल कुमार कटारे परिवार अपने इष्टमित्र और
मेहमानों के साथ कन्यादान करके आनन्दित हो रहे हैं।

सर्वैषु दानेसु उत्तमं उक्तं कन्यादानम्।
अन्यं दानं क्षणं क्षीयते धनमन्नं सम्मानम्।
समधी श्री हरीश पा़ण्डेय प्रहसति मन्दं मन्दम्।।

समस्त प्रकार के दानों में कन्यादान को श्रेष्ठ कहा गया है।क्यों कि अन्न धन आदि सभी दान बहुत शीघ्र
समाप्त हो जाते हैं जबकि कन्यादान से कुल बढ़ता ही जाता है। इस प्रकार का श्रेष्ठ दान प्राप्त करके वर के
पिता श्री हरीश पा़ण्डेय मन्द मन्द मुस्कुरा रहे हैं।

खलु भवेत् नव युगल जीवने सत्यं ज्ञान प्रकाशः।
वर्धयेन्नित्यं परस्परं प्रेम त्याग विश्वासः।
काम क्रोध लोभ संमोहाः प्रमुच्येत् भव बन्धम्।।

मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि इस नव दम्पति के जीवन में सत्य और ज्ञान का प्रकाश हो और
 हमेशा परस्पर प्रेम त्याग और विश्वास बढ़ता रहे। ये काम क्रोध लोभ मोह आदि बन्धनों से मुक्त होकर अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त करें।

                                                                              विनीतः
शुभाकांक्षी                                                     अनिल कटारे एवं समस्त कटारे परिवार
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे